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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 26


                मेरा बाप  मेरा दुश्मन  (भाग 26 )

                अब तक के भागौ में आपने पढ़ा  कि तान्या व विशाल ने भागकर  विवाह किया जिससे दुःखी होकर  तान्या के मम्मी पापा ने जहर खाकर  आत्महत्या करली। जब यह खबर  तान्या को मिली वह टेन्शन में आगई  और उसको ट्यूमर होगया।  तान्या की लम्बी बीमारी से मौत के बाद रमला की परवरिशके लिए  विशाल सारिका से शादी कर लेता है।


        सारिका की सहेली सलौनी रमला की सुन्दरता देखकर  उससे पैसा कमाने का लालच सारिका। को देती है। सारिका व सलौनी विक्रम  के द्वारा रमला को प्यार के जाल में फसवाते हैं। रमला उस जाल में फसकर भी सतर्क रहती है। अब रमला विक्रम   से जिद करने लगी की वह अपने मम्नी पापा से मिलबाऐ इसके बाद सलौनी ने एक गरीब बुजुर्ग दम्पत्ति को लालच देकर  विक्रम  के नकली मम्मी पापा बनाकर मिलवा  दिया । लेकिन रमला को विक्रम  की की बातपर शक हो गया की यह विक्रम  के मम्नी पापा नहीं हैं।
           अब रमला की समझ में आने लगा कि उसके साथ कोई  साजिस रची जारही है रमला ने भी अपनी सौतेली माँ सलौनी व  विक्रम  की जासूसी एक सूरज नाम के अपने पुराने दोस्त से करवाना शुरू करदी। अब विक्रम  भी डर गया उसने रमला को पूरा प्लान बताकर सारिका व सलौनी की चालाकी बतादी ।विक्रम  ने रमला को यह भी बता दिया कि मेरा प्यार झूंठा था। मै तुमसे कैसे भी शादी नहीं कर सकता हूँ। विक्रम  से अपनी सौतेली माँ की काली करतूत सुनकर रमला पापा से शिकायत  करना चाह रही थी परन्तु उसको विशाल  से बात करने का मौका ही नहीं मिल रहा था। क्यौकि विशाल  रात को बहुत  लेट आता था ।  आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए।

   रमला की आँखौ से नींद  बहुत दूर थी। उसको विक्रम की वह बात कानौ में गूँज रही थी कि रमला तू यह घर छोड़कर कहीं दूर चली जाना नहीं तो तेरी सौतेली माँ तुझे बरवाद करके छोडे़गी।

        विक्रम की इस चेतावनी को याद करके रमला का बदन  एक अनजाने भय से काँपने लगता था। अब उसे सौतेली माँ की वास्तविकता की पहचान हो रही थी। वह सोच रही थी कि यदि आज उसकी माँ जीवित होती तब यह नही होता।

     रमला इस डर से जितना दूर  निकलना चाहती उसी समय उसके चेहरे के सामने विक्रम का चेहरा आजाता । मानो वह उसे चिडा़ रहा हो कि रमला मैने तुझे  समझाया था लेकिन तूने मेरी बात क्यौ नही मानी अब देख तेरी बर्बादी  आलम और इसे अपने गले से लगा ले।

       रमला पुनः साहस करती और कहती मै किसी से नहीं डरती हूँ क्या करलेगी अब मै भी तो देखती हूँ यह कितनी चाल चलेगी।

       आज विशाल का आफिस बन्द था रमला ने मौका देखकर पापा को घुमाने के लिए नेशनल  पार्क लेगयी साथ में सारिका व आकृत भी गये थे।

     रमला ने चालाकी से सारिका व आकृत को पार्क में घुमाने वाली बस में बिठा दिया। अब वह विशाल के पास अकेली  थी।  रमला ने मौका देखकर विक्रम द्वारा बताई गयी पूरी कहानी सुनाई।

     विशाल उसको सुनकर बोला " रमला यह तो किसी फिल्म की कहानी जैसी लग रही है। तू कोई दूध पीने वाली बच्ची तो नहीं है। मै इस तरह की कहानियौ पर विश्वास नहीं करता हूँ।"
रमला = "पापा मै सच बोल रही हूँ।"

विशाल =" देख रमला तू अपनी माँ पर बदचलन का इल्जाम लगा रही है।  मै इस पर कभी विश्वास नही कर सकता हूँ। मुझे तो तेरी इस  मन गडन्त कहानी में तेरी ही कोई बडी़ साजिस नजर आरही है।""

रमला = "पापा प्लीज मेरी बात पर विश्वास करो यदि विक्रम झूठा होता तो मेरे साथ कुछ भी कर सकता था लेकिन उसने आजतक मेरी मर्जी के खिलाफ को ई कदम नहीं उठाया। "

विशाल = "यदि विक्रम सही था तो वह यहाँ से भाग क्यौ गया ? उसको यहाँ से जाने से पहले  जो कहानी बताई है उसका ठोस सबूत देना चाहिए। मै इस तरह की कहानियौ पर विश्वास नहीं करता हूँ।"

रमला= "पापा मै कुछ भी झूँठ नहीं बोलरही हूँ आप केवल एक बार विश्वास तो करके देखो। यदि मेरी बात झूँठ  साबित हो जाय तब आप जो भी सजा दैगे मै भूगतने को तैयार हूँ।"

विशाल ="  देख रमला अब बहुत होगया मै सारिका के बिरुद्ध एक शब्द भी  नहीं सुनना चाहता हूँ। अब तू इन बातौ को भुलाकर अपनी पढा़ई में मन लगा। इन बातौ मे कुछ नही रखा। रमला तू अपने मन से  इन बातौ को निकाल कर जीना सीख।"

       अब सारिका भी उनके समीप आगयी थी। उसने बाप बेटी की बहस के बिषय में पूछा तब विशाल बोला," कोई बहस नहीं होरही थी बस इसकी कुछ गलतफहमिया दूर कर रहा था कोई बात नही इस उमर में ऐसा सभी के साथ ही होता है।"

सारिका को अभी तक कुछ समझ में नही आया था इस लिए वह पूछने लगी," इस उमर में क्या कुछ होजाता है। मुझे भी तो समझाओ। ?"

विशाल =  "सारिका तुम  यहाँ मस्ती करने आई हो मस्ती करो। ऐसी कोई बात नहीं है जसे तुम जानने के लिए लालायित हो रही हो।"

       सारिका आगे कुछ नहीं बोली।वह चुप होगयी। परन्तु रमला के दिमाग में खलबली मची हुई थी क्यौकि आज उसकी बात विशाल ने भी नहीं सुनी। वह भी सारिका को पाक साबित कर रहेथे।

       रमला आज अपने को इस परिवार में अलग थलग पा रही थी। अब विक्रम की बात को सच होने में उसे कोई सन्देह  नजर नहीं आरहा था।

    विशाल  उसके बाद सपरिवार  घर वापिस आगया।लेकिन  रमला की बातौ ने विशाल को भी सोचने के लिए  मजबूर कर दिया था। वह रात को बैड पर पडा़ हुआ रमला द्वारा कही गयी बातौ पर मंथन कर रहा था।

       विशाल का एक मन कह रहा था कि उसे इस बिषय पर सारिका से खुले मन से बात करनी चाहिए क्यौकि इस तरह चुप रहने से तो बात नहीं बन सकती है।

      विशाल का दूसरा मन कह रहा थाकि उसे सारिका से इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहिए क्यौकि इससे उसके दिल पर काफी असर पडे़गा और वह इस तरह बागी भी हो सकती है।

      फिर भी विशाल ने सारिका से बात को घुमाकर बात करने की कोशिश की।
   विशाल=  "सारिका आजकल रमला का क्या चल रहा है। मैने तुमसे कहा था कि रमला के लिए कोई लड़का देखो। क्या कहीं कोई बात बनी।"

सारिका = नहीं कोई बात नहीं बनी यदि बात बनजाती तब मै आपको बता देती।

     यह कहकर सारिका ने बात को टालने की कोशिश की थी।
       विशाल ने भी  बात को आगे बढा़ने की कोशिश नहीं की क्यौकि वह भी बात को   वही समाप्त करना चाहता था।

     उधर रमला भी  सोच रही थी कि उसे क्या करना चाहिए ।अब तक उसे पापा का भरोसा था वह भी आज टूट गया था। अब वह अपने को बिल्कुल अकेला महसूस कर रही थी। उसका दिमाग काम नहीं कर रहा  था।


                      क्रमशः आगे की कहानी अगले भाग  में पढ़िए। 


कहानीकार  प्रतियोगिता  हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी"       

     










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